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अमरगढ़ में अपने लोगो के अतिक्रमण बचाने के लिए सरपंच का षड्यंत्र ?

गरीब लोगों को लाया प्रशासन के निशाने पर... प्रशासनिक टीम को किया गुमराह -

अमरगढ़ में अपने लोगो के अतिक्रमण बचाने के लिए सरपंच का षड्यंत्र ?

गरीब लोगों को लाया प्रशासन के निशाने पर… प्रशासनिक टीम को किया गुमराह –

शिकायतकर्ता ने कहा मेने सिर्फ तीन लोगों की थी शिकायत, सरपंच ने पूरे गाँव को नपवा दिया –

सरपंच के षड्यंत्र का पर्दाफाश करने वाला ऑडियो आया सामने –

संवाददाता- कृष्णा महाजन
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झाबुआ/पेटलावद जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत अमरगढ़ में इन दिनों अतिक्रमण को लेकर काफी हलचल मची हुई है। कुछ लोगो के अतिक्रमण बचाने के लिए सरपंच पिंटू भूरिया के षड्यंत्र सामने आने लगे है। मामले से जुड़ा एक ऑडियो भी सामने आया है जिसमें शिकायतकर्ता और हल्का पटवारी के बीच चर्चा हो रही है जिसमें साफ तौर पर यही प्रतीत हो रहा है कि गांव में सिर्फ तीन अतिक्रमण को लेकर शिकायत हुई थी लेकिन सरपंच का कहना था कि अगर इन तीन अतिक्रमण को हटाया तो उससे पहले पूरे गांव के अतिक्रमण को हटाना पड़ेगा।

शिकायतकर्ता बाबू बिलवाल के अनुसार उन्होंने तीन लोगों की शिकायत की थी जिनके द्वारा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, शिकायतकर्ता के द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर भी अतिक्रमण संबंधित शिकायत की गई है। शिकायत पर अतिक्रमण हटाने हेतु प्रशासनिक टीम ग्राम अमरगढ़ पहुंची थी जहां प्रशासन की टीम कार्रवाई करने ही वाली थी किंतु इस दौरान ग्राम पंचायत सरपंच मौके पर पहुंचा और प्रशासनिक टीम को गुमराह करने लगा और कहा कि यहां अतिक्रमण तोड़ने से पहले पूरे गांव का अतिक्रमण तोड़ना पड़ेगा और अपने लोगों का अतिक्रमण टूटने से बचा लिया। हालांकि सरपंच के कहे अनुसार प्रशासन ने अपनी सक्रियता दिखाते हुए अमरगढ़ में गरीब लोगों को दर्जनों नोटिस थमा दिए, लेकिन सवाल यह है कि आखिर सरपंच तीन लोगों के अतिक्रमण क्यों बचा रहा है?? और इन तीन अतिक्रमण को हटता देख सरपंच ने गरीब लोगों को भी प्रशासन के निशाने पर ला दिया?? शिकायतकर्ता का कहना है कि मैंने तो सिर्फ तीन लोगों की शिकायत की थी लेकिन सरपंच ने पूरे गांव को ही नपवा दिया। ऐसे में लोग गलतफहमी में मुझे गलत मान रहे हैं। जबकि मैंने किसी भी गरीब व्यक्ति या अन्य किसी व्यक्ति की शिकायत नहीं की है मेरे द्वारा सिर्फ तीन लोगों के नाम सहित शिकायत की गई है। लेकिन मुझे दबाने के लिए सरपंच द्वारा ऐसा माहौल बनाया गया कि मैंने पूरे गांव की शिकायत की है जबकि शिकायत तो खुद सरपंच द्वारा की गई है।

सरपंच के षड्यंत्र गांव तक ही सीमित नही है, सरपंच अपने कारनामो का खुलासा होते देख पत्रकारों पर भी दबाव बनाने के उद्देश्य से झूठे आरोप लगाने से भी पीछे नही है। यंहा तक कि झूठे मामले में फसाने का षड्यंत्र भी कर रहा है। लेकिन शायद सरपंच को यह नही पता कि पत्रकारों के लिए अब धमकियां आम हो चुकी है, आये दिन लोग धमकियां दे रहे है फसाने की साजिश कर रहे लेकिन हमारी कलम उतनी ही ताकत के साथ चल रही है, आगे भी चलती रहेगी…..

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